प्रेम जाल
नम्रता भी नहीं समझ पा रही थी। यह कैसी बीमारी है। ऐसे लग रहा था जैसे शेरी ने अपना दिमाग का संतुलन ही खो दिया है। वह छोटे बच्चों की तरह हरकत कर रही थी।
फिर अगले दिन नम्रता शेरी को लेकर एक बड़े अस्पताल में गई। वहां उसका अच्छे से चेकअप हुआ। उसकी सारी रिपोर्ट नॉर्मल थी। नम्रता ने शेरी को एक जगह बिठा दिया।फिर वह डॉक्टर से बात करने लगी।
डॉक्टर-आपकी बहन को किसी बात का स्ट्रेस हो गया है और इसने अपने मन में कोई बात रख ली है जो कि "यह बता नहीं पा रही है इसे एक तरह का डिसऑर्डर कहते हैं जिसमें इंसान अपनी पुरानी बातों को ही करता है ।दूर से देखने में वह नॉर्मल लगेगा लेकिन उसके दिमाग में हर समय एक हलचल होती रहती है। हो सकता है शेरी कुछ दिनों में ही ठीक हो जाए ,और यह भी हो सकता है वह ठीक ना हो पाए।" मैं दवाई लिख देता हूँ इसको दवाई दो और इसको अकेला मत छोड़ो।आप इसको न्यूरो वाले डॉक्टर को दिखाएं।
नम्रता 2 दिन बाद शेरी को लेकर एक न्यूरो क्लीनिक पर ले जाती है। वहाँ पर डॉक्टर सारी बाते शेरी से करता है।शेरी बताने लगती है।दोनों की बातें एक घंटे तक चलती रही।
फिर डॉक्टर नम्रता को बोलता है कि कोई बात नहीं है यह ठीक हो जाएगी। इसको खुश रखो। इसका बहुत ध्यान रखना है।इसकी अभी लंबी दवाइयां चलेंगी फिर यह धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी।
नम्रता शेरी को लेकर घर जाती है।
वह भी बहुत परेशान थी।अपने मन में सोचती है कितने मुश्किल से मेरी नौकरी लगी थी। सोचा था कुछ घर की हेल्प कर दूंगी लेकिन अब शायद वह शेरी को छोड़कर नहीं जा पाएगी।
शेरी की हालत ऐसी हो गई थी जैसे कि वह कोई छोटा बच्चा हो।
मम्मी पापा भी बहुत परेशान थे।लेकिन परेशान होना भी कोई हल नहीं था।अपनी परेशानियों से हमें लड़ना तो पड़ता ही है।
नम्रता सारी स्थिति अपने एचआर सचिन को बता देती है। वह कहती है कि अब वह जॉब नहीं कर पाएगी। और सचिन से रिक्वेस्ट करती है इस मंथ की सैलरी उसको दे दी जाए।
सचिन कहता है-मैं कोशिश करता हूं और वह फोन रख देता है।
अब शेरी दवाइयों की वजह से सारा दिन सोती रहती उसे छोटे बच्चों की तरह खाना खिलाना पड़ता। हम लोग उसी की देखरेख में लगे रहते।
इस दौड़ भाग में एक महीना बीत गया।
जितना पैसा भी था शेरी की दवाइयों में खर्च हो गया। आखिरकार नम्रता ने वही कुछ काम करने का सोचा। लेकिन इतनी जल्दी जॉब लगना आसान नहीं था।
उसने घर पर ही ट्यूशन लेने शुरू कर दिए।
घर का माहौल बहुत परेशानी वाला था।
नम्रता की ग्रेजुएशन का दूसरा साल था।
उसका एक बहुत अच्छा दोस्त निमित था।
उसकी सहायता से उसकी एक जगह जॉब लग गई जहाँ पर निमित भी पहले से ही जॉब कर रहा था।
उधर शेरी अच्छे से नहीं पढ़ पा रही थी।लेकिन सब लोगों ने उसे प्यार से समझाया।और उसको बोला पढ़ाई शुरू कर एग्जाम देने हैं।
दरअसल शेरी किसी को फेस नहीं करना चाहती थी। उसको बाहर निकलने से डर लगने लगा था।
वह कमरे में बंद रहना चाहती थी।
आखिरकार एग्जाम की डेट शीट आ गई शेरी ने एग्जाम भी दे दिए।वह भी बहुत हिम्मत वाली लड़की है।
अब थोड़ा घर का माहौल ठीक हुआ था। लेकिन नम्रता बहुत टेंशन में रहने लगी थी।
क्योंकि घर में शेरी को देखना और ऑफिस में सारा काम संभालना। उसकी तो अपनी पर्सनल लाइफ खत्म ही हो गई थी। वह हर समय गुस्से में रहने लगी थी। उसकी तनख्वाह से ही घर चलता था।
धीरे-धीरे समय बीतने लगा•••••••••••••
इसी दौरान नम्रता की बात दीपक नाम के लड़के के साथ होने लगी। दोस्ती इतनी बढ़ गई कि प्रतिदिन शाम के समय 1 घंटे दीपक और नम्रता की बातें होती रहती थी।
नम्रता को भी दीपक से बात करना बहुत अच्छा लगता था क्योंकि वह हमेशा परेशानी में रहती थी। उसको दिल्ली में जॉब छोड़ने का बहुत दुख था। और ऊपर से घर के हालात इतने खराब चल रहे थे। उसके पापा कोई भी काम नहीं कर पा रहे थे। उनका बिज़नेस बिल्कुल ठप्प हो गया था।
उसको ऐसा लगता था।कि दीपक से बात करके उसकी सारी परेशानियों खत्म हो जाती है।
आपको क्या लगता है? क्या सच में दीपक उसकी परेशानी खत्म कर देगा? क्या नम्रता दीपक से प्यार करने लगी है? यह जानने के लिए पढते रहे •••••••••••••
Vedshree
01-Apr-2023 11:20 PM
👌👌👌
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
31-Mar-2023 02:16 PM
शानदार भाग
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